रविवार, 7 अगस्त 2011

तुम पूछों और मै न बताऊ

तुम पूछों और मै न बताऊ, जिंदगी के ऐसे तो हालात नहीं !

बस इक ज़रा सा दिल ही टूटा है, और कोई तो बात नहीं !

परेशाँ है मेरा दिल खुद मुझसे ही, और कोई तो बात नहीं !

किसी नज़्म ने छुआ भर है मुझको, और कोई तो बात नहीं !

......

कभी टल जाऊं तूफ़ान से ,हरगिज़ मैं वो साहिल भी नहीं !

ज़रा हवा के झोँके बाँहों में ले लूँ,और कोई तो साथ नहीं !

मगरूर नहीं बेबाक हूँ दिल से, पर किसी से कोई एतराज नहीं !

किसी को लगता बुरा तो लगा करे ,मेरा इरादा तो कोई ख़ास नहीं !

जीना चाहूँ आसमान के साथ , अब और कोई तो ख्वाब नहीं !
मुट्ठी में कर लूं माहताब को मै, गुलों का तो कोई हिसाब नही !

क्यूँ पीछे पड़ा है जमाना, मेरा कोई तो गलत बयान नहीं !

किसी को बेवजह रंज दूँ ,मैं ऐसा कोई मेरा अरमान नहीं !
कब निकल जाए वक़्त करीने का, इसका भी अंदाज़ नहीं !
इसीलिए जीतi हूँ बिंदास हर पल को,और तो कोई बात नहीं

DILEEP VAISHYA

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें