शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

DILEEP VAISHYA: पिता की चिट्ठी

DILEEP VAISHYA: पिता की चिट्ठी: कभी इस ओर आओ तो
घर भी आना।

नज़दीक आ रहा
दादा का श्राद्ध
बहन की नहीं निभ रही ससुराल में
निपटाना है झगड़ा जमीन का
कभी इस ओर आओ तो
घर...

मुझे भारतीय होने पर गर्व नहीं है...!!



हफ्ता भर पहले ख्याल आया कि जो भाव मन में हैं उन्हें जग जाहिर कर दूं। फेसबुक ने तो वैसे भी अभिव्यक्तिकरण को सरल बना दिया है। तुरंत स्टेटस अपडेट में लिखा कि, "कभी-कभी तो लगता है कि कुछ नहीं रखा है हिन्दुस्तानी होने में..." ये लिखने भर की देर थी कि धड़ाधड़ कॉमेंट आने लगे। संभवत: फेसबुक पर मुझे सबसे ज्यादा टिप्पणियां इसी पोस्ट पर मिली। लोगों ने तीखे प्रहार किए, कुछ ने कहा कि मेरी मति मारी गई है तो कुछ ने मुझे राष्ट्रद्रोही करार दे दिया। शुभचिंतकों ने खैरियत जानने के लिए फोन भी कर दिया तो कुछ लोगों ने पूरी नींद लेने की सलाह दे दी। इस बीच सिर्फ एक-दो लोग ही ऐसे थे जिन्होंने मेरी बातों का समर्थन किया और मेरे कथन के पक्ष में तर्क भी दिए। जो लोग मुझे बचपन से जानते हैं उन्हें तो लगा कि मैंने मानसिक संतुलन ही खो दिया है। उन्हें लगा कि कहां ये राष्ट्रभक्त हुआ करता था और कहां अब ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रहा है। शुभचिंतकों ने पूछा कि भई ऐसा क्या हो गया कि कुछ दिन पहले तक तो तुम ये कहते और लिखते थे कि तुम्हें अपने देश पर गर्व है, फिर ऐसा क्या हो गया कि अब विचार एकदम बदल गए। उनकी चिंताएं जायज हैं, लेकिन उन्हें कैसे बताऊं कि राष्ट्रभक्त हूं इसीलिए तो ऐसी बातें कर रहा हूं।

फेसबुक पर जो लिखा था उस बात पर मज़बूती से बना हुआ हूं। सच कहता हूं मुझे भारतीय होने पर गर्व नहीं है। दरअसल पिछले रविवार इस्कॉन टैंपल के पास वाले टीले पर गया था। ईस्ट ऑफ कैलाश में स्थित इस जगह की ऊंचाई आसपास के इलाके से थोड़ी ज्यादा है। अक्सर वहीं एकांत में बैठकर मनन और आत्मसंवाद किया करता हूं। उस रोज़ भी एक शिला पर बैठकर दूर जगमगा रहे नेहरू स्टेडियम को देख रहा था। अचानक कुछ बच्चे खेलते-खेलते वहां आए और उनमें से एक पत्थर पर चॉक से कुछ लिखने लग गया। पहले तो उसने कुछ भी ड्राइंग बनाई और साथ में अपना नाम लिख दिया। फिर वो दूसरे पत्थर की ओर गया और वहां लिखा- मेरा भारत महान..। इस बच्चे की उम्र मुश्किल से 7-8 साल रही होगी। मैं सोच रहा था कि इस बालक को ये मालूम है कि इसने क्या लिखा... क्या ये महान शब्द का आशय समझता होगा। तभी अंदर से आवाज़ आई, "इस बालक के बारे में क्या सोचता है, अपने बारे में बता... क्या भारत महान है?"

"ओह! ये कैसा सवाल.... भारत सनातन काल से महान है.. इसकी कला, संस्कृति..." अभी मैं अपन बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि अंतर्मन जोर से हंस पड़ा..."हा हा हा हा..... ।"

मैं चुप हो गया...। कोई और होता तो तर्क-कुतर्क कुछ भी देकर भारत को महान साबित करने के लिए कोशिश की जा सकती थी। लेकिन यहां सामना खुद से ही था, खुद को अंधेरे में रखें भी तो कैसे। यकीन मानिए, कुछ भी जवाब नहीं सूझा। लगा कि जो भी तर्क दूंगा वो खुद को दिलासा देने के सिवा कुछ नहीं होंगे। किस बात की दुहाई दूं मैं? देश का वर्तमान तो डांवाडोल है ही और इस हिसाब से भविष्य भी अंधकार में है। तो फिर क्या क्या देश के "गौरवशाली" इतिहास का बखान करूं जिसमें गर्व करने लायक 'शून्य' को छोड़कर कुछ है ही नहीं। थोड़ी देर मैं चुप रहा और यही सब कुछ सोचता रहा। अंतर्मन ने मेरी दशा समझ ली और वो अपनी हंसी रोकते हुए अब गंभीर हो चुका था। उस शाम इसी विषय पर आत्मसंवाद हुआ जो निष्कर्ष जो निकला वो मैंने फेसबुक पर अपडेट कर दिया।

मुझे अपने देश से प्यार है , बहुत प्यार है लेकिन गर्व नहीं । जिस भूमि में मैंने जन्म लिया, जहां मेरी परवरिश हुई उससे प्यार होना स्वाभाविक है। लेकिन प्यार का मतलब ये नहीं है कि आप अंधे ही हो जाएं।

हम लोग बचपन से कहते, रटते आ रहे हैं भारत महान है, हमें भारतीय होने पर गर्व है। बिना सोचे-समझे हम ये नारा बुलंद करते हैं। लेकिन कभी सोचा है कि महानता का अर्थ क्या होता है और गर्व कैसे होता है। महानता श्रेष्ठता की परिचायक है। क्या हम श्रेष्ठ हैं? असलीयत ये है कि भारत को महान कह देने की आड़ में हम उसकी तमाम कमियों और बुराइयों को छिपा देते हैं। साथ ही गर्व एक ऐसा भाव है जो अंदर से आता है। कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करने पर ये भाव उमड़ आता है। एक ओर हमारा देश अभी भी अशिक्षा, संकीर्णता, कुरीतियों, गरीबी, धर्मांधता, भ्रष्टाचार और ऐसी ही अगनित समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में गर्व वाली भावना कहां से आ रही है? हां, कुछ एक व्यक्तिगत या विशिष्ट उपलब्धियों पर गर्व किया जाता है लेकिन संपूर्ण राष्ट् पर नहीं। अगर फिर भी किसी को गर्व होता होता है तो वह उसका भ्रम है। वह False Feeling है।

जब भारत तमाम बुराइयों से मुक्त होगा, लोगों का आर्थिक और सामाजिक जीवन स्तर अच्छा होगा और साथ ही सभी मामलों में आत्मनिर्भर होकर पश्चिमी देशों की ओर देखना बंद करेगा तभी भारत महान बन पाएगा और तभी हर मुझे उस पर गर्व होगा। लेकिन ये सब काम ऐसे नहीं होने वाला, हम में से हर किसी को पहले ये स्वीकार करना होगा कि भारत अभी महान नहीं है। इसके बाद हमें नागरिक कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने जीवन स्तर को सुधारना होगा। तभी देश तरक्की करेगा और महान बनेगा। हम भले ही गर्व न कर पाएं लेकिन हमारी आने वाली पीढ़ियां ज़रूर देश पर गर्व कर पाएंगी। हां, अगर आप और हम चाहें तो अभी भी खुद को अंधेरे में रखकर देश पर गर्व होने का वहम पाल सकते हैं। आज तक यही तो होता आया है|

इन्सान की पहचान बचा

इन्सान की पहचान बचा

मै घर का नाविक हूँ
तू संसार का नाविक है
मै पथ का साथी हूँ
तू पथ का मंजिल है
मै इंसानी रिश्ता हूँ
तू एहसास का सागर है
मै गागर हूँ तू सागर है
मै भक्त हूँ तू भगवान है
मै इन्सान हूँ नादान हूँ
मै तेरा ही वरदान हूँ
तू भी बना इन्सान है

भक्त को जनता है
भगवान को जनता है
फिर इन्सान की पीड़ा पर
तू चुप क्यों हो जाता है
मै तेरा ही स्वाभिमान हूँ, नाम हूँ
तू है अन्तर्यामी मै अज्ञानी
तू सब जनता है, मानता है
फिर तेरा ही इन्सान क्यों आज शैतान बना
इन्सान को इन्सान बना !

इन्सान की पहचान बचा !!
मन तो कपटी है, चंचल है
मनो यग्य का तू सर्वग्य सदा
हे प्रभो !इन्सान को इन्सान बना
तू ही भक्त है तू ही भगवान है
इन्सान को भगवान बना
भक्त की पहचान बचा
सच इन्सान को इन्सान बना
इन्सान की पहचान बचा !!

बहुत हो गयी रात,करो उजाले की बात
मन का सूरज उगा भगवन
धरती पर होता नित पाप का हवन
योगी मन बसा भगवन
इन्सान को इन्सान बना
इन्सान की पहचान बचा !!

शनिवार, 20 अगस्त 2011

दिन सारे होते नहीं एक समान ।

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान,
कि दिन सारे होते नहीं एक समान ।

ओ आँखों से देख अपने दाता की लीला,
जो दुख-सुख से जीवन बनाए रंगीला।
ना समझो ग़रीबों का कोई नहीं,
दया मेरे मालिक की सोई नहीं।
जो महलों से गलियों में लाकर रुलाए,
जो पल भर में तोड़ेगा दौलत का मान।।
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...

वो कहते हैं जिसको रहीम और राम,
वो अल्लाह-- ईश्वर, ख़ुदा जिसका नाम!
वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार,
देगा वही तुझ को ख़ुशियों का दान।।
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...

दुनिया में कौन हमारा?

जब तुम ही चले परदेस, लगा कर ठेस ओ प्रीतम प्यारा!
दुनिया में कौन हमारा?

जब बादल घिर-घिर आएंगे, बीते दिन याद दिलाएंगे।
फिर तुम्हीं कहो कित जाए, नसीबों का मारा?
दुनिया में कौन हमारा?

आँखों से पानी बहता है, दिल रो-रो कर यह कहता है।
जब तुम ही ने साजन, हम से किया किनारा।।
दुनिया में कौन हमारा?

देखा करो भगवान ग़रीबों का तमाशा।

देखा करो भगवान ग़रीबों का तमाशा।

दिन रात कोई अश्क बहाए तो तुम्हें क्या।।

ले जितना सताना है सता, बिगड़ी मेरी हर्गिज न बना।
इन रोती हुई आँखों से पानी की जगह ख़ून बहाऊँ तो तुम्हें क्या।।
टूटी हुई नैया है मेरी, बस एक झकोले की देरी।

तूफ़ान चहुँ ओर से आके, मेरी नैया को डुबो दें तो तुम्हें क्या।।

दुनिया तेरी न भायी मुझे, दे-दे किसी की आई मुझे।
इतने बड़े मेले में जो पाँव से, किसी के कोई पिस जाए तो तुम्हें क्या।।

बहुत खूबसूरत मगर सांवली सी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की, बहुत खूबसूरत मगर सांवली सी

मुझे अपने ख़्वाबों की बाहों में पाकर, कभी नींद में मुस्कुराती तो होगी
उसी नींद में कसमसा कसमसाकर, सराहने से तकिये गिराती तो होगी

वही ख्वाब दिन के मुंडेरों पे आके, उसे मन ही मन में लुभाते तो होंगे
कई साज़ सीने की खामोशियों में, मेरी याद में झनझनाते तो होंगे
वो बेसाख्ता धीमे धीमे सुरों में, मेरी धुन में कुछ गुनगुनाती तो होगी

चलो ख़त लिखें जी में आता तो होगा, मगर उंगलियाँ कंप-कंपाती तो होंगी
कलम हाथ से छूट जाता तो होगा, उमंगें कलम फिर उठाती तो होंगी
मेरा नाम अपनी किताबों पे लिखकर, वो दांतों में उंगली दबाती तो होगी

जुबां से कभी उफ़ निकलती तो होगी, बदन धीमे धीमे सुलगता तो होगा
कहीं के कहीं पाँव पड़ते तो होंगे, दुपट्टा ज़मीन पर लटकता तो होगा
कभी सुबह को शाम कहती तो होगी, कभी रात को दिन बताती तो होगी

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की, बहुत खूबसूरत मगर सांवली सी

ओ जाने वाले राही! मुझ को न भूल जाना

हिचकियाँ आ रही हैं तारों को, चांद बदली में छुपके रोता है
मेरे पहलू में क्यों ख़ुदा जाने, मीठा-मीठा-सा दर्द होता है

ओ जाने वाले राही! मुझ को न भूल जाना

महफ़िल को ज़रा रोको, सुन लो मेरा फ़साना

नौशाद हो गया हूँ, बरबाद हो गया हूँ
शादी तुम्हें मुबारक, मुझे उजड़ा आशियाना
तुम दूर जा रही हो, मज़बूर जा रही हो

मेरी कसम है तुमको, आँसू न तुम बहाना

ये मेरे भाई अनुज कुमार वैश्य की फोटो है जो महात्मा गाँधी का पोज दे रहा है !

"" Jee karta hai noch daalun apni palkon ko
kambakht tere deedar me ye bhi deewar banti
है ""



Kabhi abad krta tha kabhi barbad krta tha,Sitam woh roz ik naya ijad krta tha,Zamana ho gaya lekin khabar lene nahi aya,Jo panchi roz mere nam pr azad krta tha…

jo dharti se ambar jode, uska naam mohabbat hai
jo shisha se patthar tode, uska naam mohabbat hai
katra-2 sagar tat par to,jati hai har umr gujar
bahta dariya wapas mode, uska naam mohabbathai.....

Shaam Hote Hi Chiragon Ko Bujha Deta Hoon
Yeh Dil Hi Kaafi Hai Teri Yaad Main Jalne Ke Liye
Yeh Teri Bhi Aankhon Ka Qusur Hai Main Tanha Gunahgar To Nahi Tu Is Tarah Se Mere Dil Main Shamil Hai Jahan Bhi Jaoon Lagta Hai Teri Mahfil Hai Duniya bhar ki khushiyan hamare saath chali Qadam mila ke jo hamare saath aap chali Haath deewane ke ...



CURRICULUM-VITAE

Dilip Kumar Vaishya

Vill. Galgali Post- Bhikhapur Kani Deeh,

Kunda, Distt. Pratapgarh U.P. 230128

Contact No. 09984760021, 09807042828

E-mail No- Dileepvaishya@gmail.com

Website - www.Dileepvaishya.weebly.com


Strengths:-

Ø Positive Attitude And Discipline

Ø Can Handle The Critical Situation

Ø Punctual Of Time

Ø My Speaking Skill Impress Any Person

Job Experience

Ø 8 Months Experience of Data Entry in Hindi from Pratapgarh U.P.

Ø 3 months Experience of Internet Cyber Cafe from Pratapgarh U.P.

Profession Qualification: -

1. Diploma in Auto CAD – 2006, of Four Month Course

2. Diploma in Tally 9.0, of Three Month Course

3. Diploma in ADCM One Year Course (MS Office & D.T.P.)

4. Typing 34 words per minutes, in Hindi

Installing Windows : - Installing & Formatting Windows XP, Windows Vista, Windows 7.

Operating System : - MS Word, MS Excel, MS Power Point, Photo Shop, Page Maker Corel Draw, Auto-CAD ( Exterior Designing ), Accounting.

Educational Qualification:-

Exam Passed

Board/ University

Year

Div.

Per.(%)

High School

Intermediate

B.A.

U.P. Board, Allahabad

U.P. Board, Allahabad

Dr. R.M.L. Avadh Univ. faizabad

2004

2006

2009

Second

Second

Second

59.16%

58.40%

47.16%

Personal Details:-

Date of Birth : 20-07­-1987

Father’s Name : Mr. Umesh Chandra

Mother’s Name : Mrs. Gayatri Devi

Sex : Male

Nationality : Indian

Marital Status : Unmarried

Category : General

Hobbies : Internet surfing, Travelling and listening to Music.

Language Known : Hindi & English

Date:

Place:

(Dilip Kumar Vaishya)